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आशीर्वचन

भारतीय संस्कृति अत्यंत समृद्धि है जिससे विरासत के रूप में आध्यात्मिकता को मानव-कल्याण के लिए सज रूप में प्रदान किया है। किन्तु आज की बढ़ती हुई अतिभौतिकवादी प्रवृत्ति के के चलते हम भारतीय संस्कृति की सनातन वैदिक परंपराओं से दूर होते जा रहे हैं। हम तो दूर जा रहे हैं, साथ में आने वाली पीढ़ी भी इन सत्य सनातन वैदिक परम्पराओं से होते जा रहे हैं। अभिभावकों पर बहुत जिम्मेदारी है। समाज को अच्छा नागरिक देना, सेवक देना बहुत बड़ी सेवा है। यह तभी संभव है जब हम बाल्यकाल से ही बच्चे को अच्छे संस्कारों, गुणों, स्वभावों से संस्कारित करेंगे।

बालक के जीवन में निःस्वार्थ रूप से सहजता, सरलता, निष्कपटता एवं प्रेम विद्यमान होता है। उनके शरीर के साथ उनका अंतःकरण भी कोमल, सौम्य, तथा स्वच्छ होता है, जो दिल में है वही वाणी माँ है। वह स्वयं प्रसन्न रहता है और प्रसन्नता बांटता है। इसलिए सदैव विद्यार्थी बने रहने में कल्याण है। बाल-सुलभ व्यवहार होना चाहिए। बच्चों का आचरण अच्छा हो, उनका बौद्धिक विकास हो, उनके अंदर मानवीय गुणों का अंकुरण हो इसके लिए अक्षर फाउडेशन के प्रयासों से “विहंगम योग बाल सन्देश” पत्रिका प्रकाशित की जा रही है, जो एक सराहनीय और प्रशंसनीय कार्य है।

इस पुनीत कार्य में सहयोग कर रहे सभी सेवक एवं सेविकाओं (मातृशक्ति) के सर्वांगीण विकास की कामना करता हूँ, अनंत शुभकामनाएँ अभिव्यक्त करता हूँ, ईश्वर आपके सत्य, श्रेष्ठ प्रयास को भरपूर सफलता प्रदान करें।

दिए से दिया जलाएँ ! चलो दीप वहाँ जलाएँ, जहाँ अभी अँधेरा है !!
विहंगम योग बाल सन्देश

अक्टूबर - नवम्बर - दिसम्बर - 2021

संसार का भविष्य भारत है और हमारे देश के भविष्य हैं - बच्चे। आने वाला समय बदलाव का है। भावी पीढ़ी सही राह पर हो, वो कुछ अच्छा कर दिखाए, इसमें शिक्षा का बहुत बड़ा योगदान है।

विहंगम योग बाल सन्देश

जनवरी - फ़रवरी - मार्च - 2022

संसार का भविष्य भारत है और हमारे देश के भविष्य हैं - बच्चे। आने वाला समय बदलाव का है। भावी पीढ़ी सही राह पर हो, वो कुछ अच्छा कर दिखाए, इसमें शिक्षा का बहुत बड़ा योगदान है।

विहंगम योग बाल सन्देश

अप्रैल - मई - जून - 2022

संसार का भविष्य भारत है और हमारे देश के भविष्य हैं - बच्चे। आने वाला समय बदलाव का है। भावी पीढ़ी सही राह पर हो, वो कुछ अच्छा कर दिखाए, इसमें शिक्षा का बहुत बड़ा योगदान है।